खून पतला करने वाली दवाईयां खाने के बाद भी क्यों रहता है हार्ट अटैक का खतरा, एक्सपर्ट से जानें कारण

खून पतला करने वाली दवाईयां खाने के बाद भी क्यों रहता है हार्ट अटैक का खतरा, एक्सपर्ट से जानें कारण

सेहतराग टीम

हमारे शरीर में कई तरह के रोग होते हैं जिनमें से कई सामान्य होते हैं तो कई काफी गंभीर माने जाते हैं। उन्हीं में हद्य संबंधी बीमारी से लोग अधिक घबराते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि अगर किसी को हार्ट अटैक आता है तो उसे बचाना काफी मुश्किल होता है। वहीं हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले डॉक्टर ब्लड को पतला करने के की दवा देते हैं। यह काफी कारगर भी होती है। इससे ह्दय रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। यह दवा उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल किसी के लिए भी हो सकती है। कभी-कभी उपचार के बेहतर विकल्प उपलब्ध होने के साथ-साथ ह्रदय को ठीक रखने के लिए अधिक दवाइयों का भी सेवन करना पड़ता है। लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि जब वह खून पतला करने वाली दवाईयां खाते हैं तब भी उन्हें हार्ट अटैक क्यों आता है। त्रिवेंद्रम के पीआरएस हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट टिनी नायर ने इस सवाल का आसान सा जवाब दिया है। लेख में जानें आखिर खून पतला करने वाली दवाओं का सेवन करने के बाद भी हार्ट अटैक का खतरा क्यों बना रहता है।

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डॉ. नायर के मुताबिक, हर मरीज अलग होता है। दिल के दौरे यानी हार्ट अटैक की रोकथाम और लंबे जीवन जीने के लिए विशेषज्ञ कार्डियोलॉजजिस्ट द्वारा निदान और स्क्रीनिंग बेहद महत्वपूर्ण है। जो लोग स्क्रीनिंग से बचते हैं, विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह से बचते हैं या अपने लक्षणों के बारे में डॉक्टर या परिवार वालों को नहीं बताते हैं उन्हें हार्ट अटैक या ह्रदय रोगों का खतरा ज्यादा होता है।

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उन्होंने बताया कि स्ट्रेस टेस्ट, एंजियोग्राफी के उचित निदान के बिना किसी भी प्रकार की दवा शुरू न करें। अपने कार्डियोलॉजिस्ट की विशेषज्ञ सलाह का पालन करें और कभी भी स्वयं चिकित्सक न बनें। इसके साथ ही कभी भी किसी डायग्नोस्टिक टेस्ट को मना न करें।

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डॉ. नायर ने कार्डियोलॉजी की मूल बातें समझने के लिए, कार का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अच्छे ब्रेक से लैस के बावजूद कार दुर्घटनाग्रस्त क्यों हुई? क्योंकि एक खराब ब्रेक कार दुर्घटना के कई कारणों में से एक है लेकिन केवल एक ही नहीं है। ठीक इसी तरह दिल का दौरा यानी की हार्ट अटैक आमतौर पर दिल की पहले से ही रोगग्रस्त धमनी में रक्त के थक्के के कारण होता है। इस तरह के थक्कों को ब्लड थिनर की पर्याप्त खुराक द्वारा रोका जा सकता है।

हार्ट अटैक  का अन्य कारण

  • थक्का
  • जकड़न
  • खून की बढ़ती डिमांड

डॉ. नायर ने बताया कि धमनी की क्षणिक रूप से संकीर्ण हो जाना स्पास्म का कारण बनता है, जिसके कारण सीने में जकड़न होने  लगती है। वहीं खून की बढ़ी हुई मांग की पूर्ति न होने के कारण ह्रदय को रक्त नहीं मिल पाता और दिल की धड़कन में बदलाव होना शुरू हो जाता है। इसी कारण खून गाढ़ा होता जाता है और दिल की मांसपेशी (बाएं निलय अतिवृद्धि) में बहने और जमने लगता है।

उन्होंने बताया कि एक अच्छे कार्डियोलॉजिस्ट के लिए मानक प्रश्न ये है कि वह नॉन-थ्रोम्बोटिक मायोकार्डियल इनफ्रेक्शन के कारणों का पता लगाए ताकि ये पता चल सके कि रक्त के थक्के के बिना दिल का दौरा कैसे पड़ सकता है।  उन्होंने कहा कि कार मैकेनिक और कार्डियोलॉजिस्ट दोनों में बहुत आम समानताएं है क्योंकि दोनों ही इंजन को ठीक को करने का काम करते हैं, जिससे पूरा शरीर या गाडी चलती है। इसके साथ ही दोनों एक ऐसी भाषा में बात करते हैं, जिसे आम लोग समझ नहीं पाते हैं और हमेशा अपनी बांहों में कुछ करवट लेते रहते हैं।

(साभार- दैनिक जागरण)

 

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